Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -11-Aug-2022 - राखी

एक धागे में समाया प्यार,
भाई पर दूं मैं दुनिया वार।
कच्चा ये धागा अनमोल,
हमारे प्यार का न कोई मोल।
माथे पर लगाया तिलक,
हाथों में है डोरी सिलक।
बहन का दुलार हाथों पर,
उसका आशीष माथों पर।
डोरी इसको केवल न जाने,
भाई बहन का दुलार माने।
स्नेह का रिश्ता ये अनमोल,
पैसे से न लगाओ इसका मोल।
एक दूजे को जब हो जरूरत,
मांगता कोई नहीं तब मोहलत।
साथ दोनों प्यार से हैं निभाते,
रिश्ते में प्रेम ही प्रेम हैं सजाते।
कितना पावन हैं यह बंधन,
रक्षा कवच हैं नहीं ये क्रंदन।
भावों का उदगार धागे में,
विश्वास का बंधन तागे में।
सावन में आता यह त्यौहार,
राखी हैं स्नेह का इकरार।
भाई भाभी के साथ अनुबंध,
भतीजो भतीजी से मधुर संबंध।
अमरता का एहसास यह धागा,
जिंदगी का सार हैं यह धागा।
संस्कारों से धागा ये सुशोभित,
इससे हर कोई यहां प्रलोभित।
कच्चे धागे से बंधी हमारी सभ्यता,
संस्कृति की हैं ये प्यारी भव्यता।।


#दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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7 Comments

Ilyana

12-Aug-2022 12:01 PM

Nice

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shweta soni

12-Aug-2022 09:10 AM

Nice 👍

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बहुत बहुत बहुत सुन्दर सृजन

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